लेखनी प्रतियोगिता - सूर्यास्त
सूर्यास्त
देखो ज़रा गगन पर,
अद्भुत लालिमा छाई है,
पशु, पक्षी सब लौट रहे,
कितनी मनमोहक,
गौधूली वेला आई है,
अरुण हो चला अस्ताचल,
अंबर पर तारों भरी चुनर लहराई है,
मेहनत भरा,
एक और दिन बीत गया, मगर
उम्मीद भरे कल की आशा,
मन में फिर से उभर आई है।।
प्रियंका वर्मा
19/7/23
Aliya khan
20-Jul-2023 10:07 AM
पर कल कर टॉपिक तो घर सूना था
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